प्रत्येक भाव से क्या विचार आता हे ? भाव 7 -12 - Astrology in hindi.

प्रत्येक भाव से क्या विचार आता हे ? भाव 7 -12 - Astrology in hindi.


प्रत्येक भाव से क्या विचार आता हे ? भाव 7 -12- Astrology in hindi.

सप्तम भाव : सप्तम भाव को जाया का कलत्र स्थान भी कहते हे कुंडली का लग्न स्थान उदय स्थान होता हे. तो यह स्थान बिलकुल सामने होने से अस्त स्थान भी कहलाता हे. इस भाव से स्त्री, स्त्री सुख अर्थात पत्नी , पत्नी सुख ,शादी ,विवाह ,गमन, व्यापार , अदालती जगड़े ,सांझेदारी अर्थात भागीदारी प्रत्यक्ष शत्रु एवं विरोधी , प्रतिद्वंदी , जगडा , लड़ाई ,संग्राम ,युद्ध , विवाद ,वाणिजय व्यापार  में सांझेदारी ,प्रवास, विदेश से प्राप्त नाम व् मान-सम्मान ,स्थानान्तर ,कलह , स्त्री को पति का सुख ,स्त्री को कुंडली में पति , जीवन को खतरा क्योकी यह मारक स्थान भी हे , सांसारिक सम्बन्ध , अंतरास्ट्रीय व्यापार , जन सभा ,आदि का विचार किया जाता हे. इसका मुख्य प्रभाव कमर , वस्ति, मूत्र प्रणाली पर होता हे.

 अष्ठम भाव :  अष्ठम भाव को आयु या मृत्यु स्थान भी कहा जाता हे , इस भाव से मृत्यु कैसे होगी अर्थात मृत्यु का निदान , आयु, संकट , शस्त्र , भय ,पत्नी द्वारा धन प्राप्ति ,लाभ ,अकल्पित लाभ कर्जा ,लावारिस का धन ,शत्रु भय ,किसी वस्तु का नाश होना ,विरासत में धन सम्पन्ति को प्राप्ति ,बिमा ,वसीयत ,लाभ, पेन्शन , दुर्घटना ,डूब कर मरना ,दुःख ,संताप, अशुभ समाचार ,रुकावट,विलम्ब, दुर्भाग्य, जगड़े , चिंता, परेशानी , निराशा , अपमान ,हार ,चोरी ,डकेती ,दहेज़ ,बिमा, परिश्रम ,कमाई सम्पति ,बाढ़ , यात्रा में रूकावट , भय, कठिनाई , नदी पार करना ,नदी तैरना, रिपु , गुदा रोड, गुह्या रोग ,ऋण आदि का विचार होता हे , इसका मुख्य प्रभाव गुप्तांगो, जननेन्द्रियों पर होता हे .वास्तुशास्त्र और दिशा

नवम भाव : इस भाव को धर्म स्थान भी कहते हे , यह भाग्य स्थान भी माना गया हे ,इस स्थान अर्थात भाव से धार्मिक प्रवृति ,धर्म , श्रद्धा , तप, तीर्थ यात्रा ,लम्बी यात्रा ,विश्वास ,विदेश व् अन्य देशो की यात्रा ,बुद्धि ,तत्वज्ञान, बुद्धिमता ,ग्रन्थ ,कर्तव्य, विदेश व् अन्य देशो की यात्रा ,बुद्धिमता ग्रन्थ , गुरु, धर्म , बलिदान ,साधना, दर्शन शास्त्र का ज्ञान ,सहज ज्ञान ,उपासना का स्थान ,पिता गुरु ,धर्म ,पढ़ाई, विद्या , उच्च शिक्षा ,समुद्री यात्रा, हवाई यात्रा, दूरदृष्टि , स्वप्न में  आत्माओ के दर्शन , क़ानूनी विभाग ,दूर संचार ,वायरलेस , विश्वविद्यालय , तालाब ,निर्मल स्वाभाव ,भाग्य, निम्रता , भाग्य की वृद्धि ,जद्दी घर की हालत आदि का विचार होता हे , इसका प्रभाव जांघो और घुटनो पर होता हे.


 दशम भाव : यदि नवम भाव भाग्य स्थान हे तो यह कर्म स्थान कहलाता हे , इस भाव से व्यवसाय ,कारोबार , पद ,मान सम्मान ,तरक्की ,उन्नति ,कीर्ति ,कर्म ,कार्य से होने वाला अच्छा या बुरा परिणाम ,यज्ञ , उद्योग - धंधा ,व्यापार , सरकार में यश , सम्मान , नौकरी ,सरकारी नौकरी ,आचरण , धार्मिक उत्सव , पिता, सास , जज , घुड़सवारी ,खेतीवाड़ी , गोद लिया पुत्र , नेता , संतान  का स्वस्थ्य ,छोटे भाई को खतरा ,प्रवास , ऋण , तरक्की ,पदवी पाना ,पितृ सुख ,आदि का विचार होता हे , इसका प्रभाव घुटनो पर होता हे.

एकादश भाव : इस स्थान अर्थात भाव को आय या लाभ स्थान कहा जाता हे ,इस भाव से अनेक तरह का लाभ ,इच्छापूर्ति ,आशा, उम्मीद , आभूषण ,द्रव्य लाभ ,हाथी, घोड़े ,पालकी , स्थाई मित्र ,मित्र सुख ,विद्या लाभ ,परिवार, रिश्तेदार ,दामाद ,समाज ,मनोकामना ,कारोबार ,नौकरी लाभ और उन्नति ,तरक्की ,पदोन्ति,रोगो से मुक्ति ,बड़ा भाई ,सुसाइटी ,साथी , सलाहकार ,अंतरष्ट्रीय सम्बन्ध ,लोक सभा ,कॉर्पोरेशन ,पिता की छोटी यात्राएं , पत्र व्यवहार द्वारा लाभ ,कंपनी ,सुख , धान्य , शिक्षा का लाभ ,ऐश्वर्य, सुख, समृद्धि आदि का विचार किया जाता हे ,इसका प्रभाव बाए कान ,दाहिने पैर तथा पिंडलियों पर होता हे.


द्वादश भाव : इसे व्यय स्थान कहा जाता हे , इस भाव से गुप्त विद्या ,आध्यात्मिक विधा ,मोक्षः ,दंड , कैद , जुरमाना ,शत्रु, खर्चा, हानि , नुक्सान ,दान ,गृहस्थि पर व्यव ,पाखंड ,फरेब ,गुप्त कार्य, सरकारी सजा ,सरकारी भय अथवा संकट ,कर्ज , ढगी , किसी को घेरना ,पकड़ना, विध्न पड़ना ,दुःख , धोखा होना ,घर से विद्रोह ,घर से बाहर रहना, विदेश जाना, विदेश यात्रा ,दुर्भाग्य , गरीबी ,अस्पताल ,जेलखाना ,हत्या, बदनामी , सय्यासुख , विदेश में जीवन ,बिना काम के इधर उधर घूमना ,रात्रि सुख , काम सुख ,गुप्त योजनाए, अनहोनी, जानवरो से भय ,उन्नति, ब्लेकमेल करना ,मनमानी करना ,पत्नी की बीमारी ,संतान को रुकावट ,भर्म , क्रोध, नौकरी चले जाना ,इन्कमटैक्स का छापा ,राजकीय संकट आदि का विचार किया जाता हे.
इसका प्रभाव आँख, बाए कान ,पाँव, पंजा ,ऊँगली व तलुवा पर होता हे.

दरेक व्यक्ति का दांया और बाया होता हे , लग्न से सप्तम भाव तक शरीर का दांया भाग देखा जाता हे , और सप्तम से बारवे भाव तक शरीर का बायां भाग देखा जाता हे.


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